बवासीर (पाइल्स) और फिस्टुला ( भगंदर ) में सही खान-पान बहुत जरूरी होता है। इसमें फाइबर युक्त और हल्का भोजन लेना चाहिए ताकि कब्ज न हो और मलत्याग में परेशानी न हो।
आइये जानते है क्या कहता है भारत का प्राचीन चिकित्सा विज्ञान – आयुर्वेद : –
कुलित्था यवगोधूमाः शालयो रक्तमा हिताः ।।
पुनर्नवा सूरणं च तक्रं धात्री कपित्थकम् ।।
नवनीत तु वास्तूक पटोलं मरिचं तथा ।
मृगमांसमजादग्धं वृन्ताकं काञ्जिकं तथा ।।
अशोरोगे तु पथ्यानि मुनिभिः कथितानि तु ।।
वेगावरोधः स्त्रीपृष्ठयानमुत्कटकासनम् ।
यथास्वं दोषलं चान्नमर्शसः परिवर्जयेत् ।।
क्या हितकारी है –
कुलथी, यव, गेहूं, रक्त वर्ण का शालिधान्य, पुनर्नवा, सूरणकन्द, तक्र (मट्ठा), अँवरा, कैंथ का फल, मक्खन, बथुआ, मरिच, मृग का मांस, बकरी का दूध, बैगन, कांजी आदि द्रव्य
क्या अहितकारी है –
बेंगावरोध (मल-मूत्रादि के वेग का अवरोध), संभोग, पीठ पर बैठने वाले (घोड़ा आदि) यान, उत्कट आसन और दोष को बढ़ाने वाला अन्न आदि
अर्थात साधारण शब्दों में इसे इस प्रकार समझ सकते है –
क्या खाना चाहिए?
1. फाइबर युक्त आहार – दलिया, ब्राउन राइस, ओट्स, साबुत अनाज, चोकर वाली रोटी
2. हरी सब्जियां – पालक, मेथी, लौकी, तोरई, गोभी, गाजर, चुकंदर
3. फल – पपीता, अनार, सेब, नाशपाती, तरबूज
4. मठट्ठा / छाछ
5. भरपूर पानी – कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए
6. भीगे हुए मुनक्के, किशमिश या अंजीर
क्या नहीं खाना चाहिए?
1. मसालेदार और तली-भुनी चीजें – मिर्च, मसाले, समोसा, पकौड़े
2. फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड – बर्गर, पिज्जा, मैदा से बनी चीजें
3. ज्यादा चाय और कॉफी
4. मांसाहारी भोजन
5. शराब और धूम्रपान
6. दालों में राजमा और उड़द की दाल