“माँ” @Musafiri by j.

January 5, 2025by TushitamFoundation0

आज फिर माँ की आँखों में सवाल थे, क्या कोख में इतने माह रखने के बाद भी बस पिता के नाम और वंश को ही चलाएगा उसका बेटा | खुद के खून से मथकर मख्खन की तरह बने दूध पिलाने के बाद भी क्या उसका कोई वजूद कोई नाम नहीं | बस पिता के नाम और वंश का उपनाम ही रहेगा उसके बेटे की पहचान | क्या माँ का नाम, उसकी तपस्या और त्याग की कोई जगह नहीं इस झूठी दुनिया में……….तो फिर ठीक ही ऐसा कहना –

“माँ के नाम और त्याग को कोई मिटा नहीं पाया |

पिता के नाम और शान को कोइ छिपा नहीं पाया ||

माँ के प्यार और तपस्या की, हर धूप – हर छांव सुहानी है |

सदियों से मूक है माँ, बस यही कहानी है, बस यही कहानी है” ||

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