वात रोग (NERVE DISORDERS), नसों के दर्द (SPINE PAIN), कमर दर्द (BACK PAIN), गठिया (GOUT), स्पोंडीलायसिस, डिस्क प्रोलेप्स (PIVD), SCITICA में क्या खाए और क्या परहेज करे ?
तेजी से बढते वात रोगों खासतोर में नसों के दर्द (SPINE PAIN), कमर दर्द (BACK PAIN), स्पोंडीलायसिस, डिस्क प्रोलेप्स में आखिर क्या खाना ठीक है और क्या नहीं | आइए जानते है सच क्या है ………
क्या है हितकारी अर्थात क्या खाना चाहिए –
कुलत्थमाषगोधूमा रक्ताभाः शालयो हिताः । पटोलं शिग्यु वार्ताकं दाडिमं च परूषकम् ।।
मत्स्यण्डिका घृतं दुग्धं किलाटं दधिकूर्चिका । बदरं लशुनं द्राक्षा ताम्बूलं लवणं तथा ।।
चटकः कुक्कुटो बहीं तित्तिरश्चेति जाङ्गलाः । शिलीन्ध्रः पर्वतो नक्रो गर्गरः खुडिशो झषः ।।
यथाश्रयं यथावस्थं यथाचरणमेव च । वातव्याधौ समुत्पन्ने पथ्यमेतन्नृणां भवेत् ।।
-कुलथी, उरद, गेहूं, लाल शालि चावल, परवर, सहिजन, बैगन, अनार, फालसा, मिश्री, घी, दूध, खोआ, दूध, फाड़ कर बनाया छेना, बैर, लहसुन, द्राक्षा, पान, नमक, मुर्गा, मनुष्यों के लिये पथ्य हैं ॥
क्या है अहितकारी अर्थात क्या नहीं खाना चाहिए –
चिन्ताप्रजागरणवेगविधारणानि छर्दिः श्रमोऽनशनता चणकाः कलायाः ।
श्यामाकचूर्णकुरुविन्दनिवारकङ्गुमुद्गास्तडागतटिनीसलिलं करीरम् ।।
क्षौद्रं कषायकटुतिरक्तरसा व्यवायो हस्त्यश्वयानमपि चक्रमणं च खट्वा ।
आध्मानिनोऽर्दितवतोऽपि पुनर्विशेषात्स्नानं प्रदुष्टसलिलैर्द्विजघर्षणं च ।।
निःशेषतन्त्रपरिकीर्तित एष वर्गो नृणां समीरणगदेषु मुदं न दत्ते ।।
– चिन्ता करना, जागना, मल-मूत्रादिक के वेग को धारण करना (अवरोध करना), वमन, अधिक परिश्रम, उपवास, चना, सांवा का चूर्ण (आटा), करीर का फल, मधु, कषाय- कटु तथा तिक्तरस वाले पदार्थ को सेवन करना, मैथुन, हाथी-घोड़े आदि की सवारी, भ्रमण, खाट पर सोना मनुष्यों को वातरोग में नहीं देना चाहिये। अर्थात ये अपथ्य हैं ॥
साधारण शब्दों में हम इस प्रकार समझ सकते है –
क्या खाना चाहिए –
क्या नहीं खाना चाहिए: