Breast cancer

मेरी बहन को  जब कैंसर डाइग्नोसिस हुआ तब मेडिकल कॉलेज में केंसर सर्जन ने बताया कि यह  एडवांस एवं अंतिम स्टेज का कैंसर है | इसमें कुछ नहीं किया जा सकता है | आप घर ले जाइए बहुत कम समय बचा है | हम उनको घर तो ले आये थे पर दीदी को लगातार उल्टिया, दर्द, कमजोरी बनी हुई थी | न तो वह कुछ खा पा रही थी, न ही सो पा रही थी | फिर हमे “तूशीतम फाउंडेशन” का पता चला, तो हमने दीदी को वंहा दिखाया | वहा हमे डॉ साहब ने बताया की जीवन तो नहीं दिया जा सकता पर जितना भी समय बचा है, कुछ दवा करके इनकी तकलीफ कम की जा सकती है | हमने उनका ट्रीटमेंट लिया | तीन महीने दीदी जीवित रही, इस बीच में उनकी तकलीफे बहुत कम रही | इन दवाओ के चलते जान तो नहीं बची परन्तु दवाओ के साथ वो तीन महीने ही ठीक से जी पाई | “तूशीतम फाउंडेशन” का बहुत बहुत आभार |

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